...

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......ज़िंदगी.....🍂
कोई जगह होगी, जहां से न जाना होगा,
इस परिंदे का कहीं तो आशियाना होगा।

न जाने किस शय का मुंतजिर है अब,
न जाने किस ओर अब ठिकाना होगा।

कई चेहरों सा दिखने लगा है अब चेहरा,
शायद इस लिए उसने न पहचाना होगा।

देख कर मुझे भी उतनी ही हैरत होती है,
आइना भी मेरी तरह बहोत पुराना होगा।

अब तू ही कुछ बोल बेचैन दिल मेरे,
क्या फिर से मुझे सब कुछ बताना होगा??
© ❦𝓜𝓲𝓼𝓼⋆🆅🅰🆁🆂🅷🅰