सफर
मैं सफर का था सफर का ही रहा
मंजिल तो मिली कई पर मचान ना था
कई बारिशें देखी देखें कई मंजर
छाव देखी धूप को निगलते हुए
दिन देखा ढलते हुए।
ममता देखी देखा पिता का स्नेह भी
बड़ो का दुलार देखा छोटो का...
मंजिल तो मिली कई पर मचान ना था
कई बारिशें देखी देखें कई मंजर
छाव देखी धूप को निगलते हुए
दिन देखा ढलते हुए।
ममता देखी देखा पिता का स्नेह भी
बड़ो का दुलार देखा छोटो का...