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हक़ीक़त से रूबरू
हक़ीक़त से रूबरू हो चुके है हम
अब कोई ख्वाब सजाना नहीं है
बहुत की है गलतियां पहले
अब उन्हें दोहराना नहीं है
अब कोई दोस्त बने चाहे दुश्मन
अब किसी से घबराना नहीं है
जिसको जो समझना है समझे
अब किसी को...