मन की माया
समझ के परे हैं कुछ बातें
समझ में आती हैं कुछ बातें
समझकर न समझें कुछ बातें
इन सब बातों के मंथन में उलझ गये हैं हम
कभी उजाला दिखे तो कभी अंधेरा
कभी उडूं मुक्त गगन में
तो कभी लगे बंधी किसी उलझन में
खुब सोचा विचारा फिर समझ में आया
ये सब है मन की माया
विचारों के भंवर में फंसाये मन
अपने हिसाब से मुक्त बनाये मन
मन को बांध कर रखो भाई
नहीं तो जिन्दगी की नाव समझो इसने डुबाई।।
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
© Anki
समझ में आती हैं कुछ बातें
समझकर न समझें कुछ बातें
इन सब बातों के मंथन में उलझ गये हैं हम
कभी उजाला दिखे तो कभी अंधेरा
कभी उडूं मुक्त गगन में
तो कभी लगे बंधी किसी उलझन में
खुब सोचा विचारा फिर समझ में आया
ये सब है मन की माया
विचारों के भंवर में फंसाये मन
अपने हिसाब से मुक्त बनाये मन
मन को बांध कर रखो भाई
नहीं तो जिन्दगी की नाव समझो इसने डुबाई।।
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
© Anki
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