...

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क्या मांगू
दुआ मैं अपनी एक दुआ मांगू
तुम मिले हो खुदा से अब क्या मांगू
अर्श तक मुकम्मल हो हर ख्वाहिश तुम्हारी
फिरदोस और इनायत से भरा यह जहां मांगू
दुआ में अपनी मैं एक दुआ मांगू
तुम मिले हो खुदा से अब क्या मांगू

रहबर मेरी हयात के रहो हमेशा वो समां मांगू
तसव्वर में भी एहसास तुम्हारा बेइंतेहा मांगू
चाहत है मेरी की आफताब से चमको फलक पर
तुम्हारी ही हसीन हंसी जो हंसे वो ज़ुबान मांगूं
दुआ में अपनी मैं एक दुआ मांगू
तुम मिले हो खुदा से अब क्या मांगू

हर लफ्ज़ में लिहाज में तुम्हारा ही मैं नशा मांगू
तबस्सुम पर तेरी कुछ तस्कीन सी मैं ह्या मांगू
मुंतज़िर हूं उस मुकम्मल मेहताब तक ऊंची उड़ान की
तवक्को में भी जो लफ्ज़ इश्क मेरा कर दे बया मांगूं
दुआ में अपनी मैं एक दुआ मांगू
तुम मिले हो खुदा से अब क्या मांगू