...

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"नारी"
वो मात्र एक देह ही नहीं,वरन
उसकी भी कोई इच्छा है।

उसकी क्षुदा मात्र दैहिक ही नहीं,वरन
हृदयं की भी एक लिप्सा है।

पुरूषों के इस दोगले समाज ने सदैव
कुचला है उसके मन को!!

मानों वो वस्तु हो कोई जो रहे सदैव
प्रसन्नचित्त और दिखें जैसे सज्जा है।

क्यो नहीं वो भी आन्तरिक खिलखिला सकतीं
क्यो करे वो सदैव ही अर्पण अपनी संपूर्ण खुशियों को!!

क्या वो सदैव रहेंगी यूं ही प्रश्नों से घिरीं हुईं, क्यों नहीं
वो कह सकतीं आज उसकी नहीं कोई स्वीकृति और इच्छा है।

#नारी #स्वीकृति ‌ #इच्छा



© Deepa🌿💙