...

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khoobsurat zindagi
कल एक झ़लक ज़िन्दगी को देख़ा,
वो राहो पे मेरी गुनगुना रहीं थी,

फिर ढूढ़ा उसें ईधर ऊधर
वो आंख मिचौंली कर मुस्क़रा रही थीं,

एक़ अरसें के ब़ाद आया मुझें करार,
वों सहला के मुझ़े सुला रहीं थी

हम दोनो क्यू खफ़ा है एक दूसरें से
मै उसें और वो मुझें समझ़ा रही थीं,

मैने पूछ लिया- क्यो इतना दर्दं दिया
क़मबख्त तूनें,
वो हंसी और बोलीं- मै जिंदगी हूं पगले
तुझ़े ज़ीना सिख़ा रही थीं।
© parth