ये शाम तुम्हारे नाम प्रिय
अंबर के लाखों तारों में
एक ही होता चांद प्रिय
कस्तूरी मृग में ही होता
ढ़ूढ़ता वो सरे आम प्रिय।
खुशबू से महका उपवन जब
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एक ही होता चांद प्रिय
कस्तूरी मृग में ही होता
ढ़ूढ़ता वो सरे आम प्रिय।
खुशबू से महका उपवन जब
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