...

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स्वयं से अपरिचित

अनवरत भागता रहा अनंत छोर तक
भीड़ का हिस्सा स्वयं को कर लिया
लौटा हूँ, रिक्तता से भरा हुआ मैं
अग्रणी की अभिलाषा ने पीछे कर दिया

तालमेल ना बैठा पाया जीवन से
रीझ कर,...