...

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बिखरूंगा थोड़ा समय तो दे,उम्मीद अभी जिंदा है मेरी,
बिखरूंगा थोड़ा समय तो दे,
उम्मीद अभी जिंदा है मेरी,
एक वक़्त के इंतेज़ार मे हुँ ठरहा,
जो कभी दिलरुबा थी मेरी,

आऊंगा उस देहलीज़ पे लौट कर,
जहा एक मेहबूबा है मेरी,
बिखरूंगा थोड़ा समय तो दे,
उम्मीद अभी जिंदा है मेरी ।

एक रोज़ रुख़सत हो जाऊंगा,
इस ज़ालिम दुनिया से बेखौफ़,
बिखरूंगा थोड़ा समय तो दे,
उम्मीद अभी जिंदा है मेरी ।

वादा है तुझसे मेरा ए हमनवा,
आख़री सांस मे भी तू ज़िंदा है मेरी,
बिखरूंगा थोड़ा समय तो दे,
उम्मीद अभी जिंदा है मेरी।
© Ambuj Pathak