...

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मैं और मेरे रिश्ते😊
काश कि कोई जगह ही नहीं होती किसी माप-तोल की हमारे इन रिश्तों में,
और ये बिल्कुल पाक-सी होती....
जैसे कि जम-जम का पानी हो ये
हाँ, इतना साफ़ होता ऐ काश हमारा हर रिश्ता कि
जैसे अभी-अभी तो नींद आई ही थी, और ख्वाबों में बिल्कुल हंसती-खेलती,
चहचहाती खिलखिलाती-सी परियों की
कोई कहानी हो ये
हाँ, काश इतना पाक होता हमारा हर बंधन
जैसे हरिद्वार की बहती गंगा के पानी से आर-पार की झलक हो
काश वो पवित्रता, वो चमक होती हमारे हर रिश्तों में हमारे आख़िरी सांसों तक, कि
जैसे ज़मी पर ही कोई फ़लक हो
हाँ काश बिना किसी शर्तों के, बिना किसी गलतफहमियों के
वो चैन-ओ-सुकून होता हमारे हर रिश्तों में
जैसे कि मौजों की कोई रवानी हो ये
काश इतना आसान, इतना सरल होता हमारा हर रिश्ता कि
जैसे क़ुरान के किसी अनमोल हिस्से की जुबानी हो ये
हाँ, काश काश कि कोई जगह ही नहीं होती किसी माप-तोल की हमारे इन रिश्तों में,
और ये बिल्कुल पाक-सी होती....
जैसे कि जम-जम का पानी हो ये

© Kumar janmjai