...

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खोया हूँ....
​मैं खोया हूँ तेरी यादों में ऐसा

अपने टूटे ख्वाबों में ऐसा

कि होश ना मुझे आज का है

ना हिसाब बीते कल का है

बस कुछ रूठा, कुछ डूबा

जिंदगी का एक अधूरा किस्सा है

जिसका हर सिरा तुझ से जुड़ा है

फिर भी ना तुझ से मिला है ......



मैं खोया हूँ , तेरे साथ में

कि मेरा वज़ूद भी अब मुझे

तुझ से ही दिखता है

जीने का हर मकसद भी

आकार तुझ पर ही टिकता है

कि हर पल मैं खुद से कहता हूँ

कि तू अब मेरा नहीं,

तू छूटा क्यूंकि हाथ कभी पकड़ा नहीं

पर इन आँखों के नाम होने से

गले के रुद्ध जाने से भी

दिल को फर्क़ पड़ता नहीं

कि ये बस इतना कहता है-

कि तू मेरा कभी हुआ नहीं,

पर मैं कभी तुझ से,

जुदा हुआ नहीं

अब ख्वाबों में खो जाऊँ

या हकीकत में रम जाऊँ

मैं तुझसे कभी अलग नहीं ।



कुछ ऐसा खोया हूँ तुझ में मैं

कि आँखें खुली तो नम होती हैं

जुबां चुप हो कर भी, तेरा नाम लेती है

सपनों में रोज तुझसे मुलाकात होती है

होठों की हँसी बस इन सपनों की

गुलाम हो गई है

कि दिन भर हम कारण ढूंढते हैं,

मुस्कुराने का

पर बेवजह ही रातों में मुस्कुराते हैं,

हम खोए हैं तुम में

और सदा खोए रहना चाहते हैं.......






© nehaa