मुस्कुराई ज़िंदगी
एक दिन सड़क किनारे खड़ा था मैं,
उदास होकर जिंदगी को कोस रहा था,
तभी जिंदगी को दौड़ते-भागते देखा।
एक सफर से दूसरे सफर के लिए,
एक बस से दूसरे बस पर चड़ते देखा।
हाॅफती हुई जिंदगी पसीने से लथपथ,
माथे पर थकावट की शिकन,
और आँखों में उम्मीदों का टोकरा लिए थी,
किसी का भरोसा तो,
किसी के प्यार के लिए भाग रही थी जिंदगी,
थकी हुई थी पर,
परिस्थितियों से हारी नहीं थी जिंदगी।
सूजी आँखों को देख कर,
हर कोई बता देता,
की कल रात बहुत रोयी थी जिंदगी,
मुस्कुराहट चेहरे पर लगा कर,
हाथों में जिम्मेदारियों का बस्ता लिए,
फिर भाग रही थी जिंदगी।
कहना बहुत कुछ था जिंदगी को,
पर बातें कहें कोनसी ये पता न था जिंदगी को,
सफर छोटा था जिंदगी का,
एक बस से दूसरे बस का,
आँखों को बंद कर गहरी सास ली और,
फिर मुस्कराई जिंदगी।
© shivika chaudhary
उदास होकर जिंदगी को कोस रहा था,
तभी जिंदगी को दौड़ते-भागते देखा।
एक सफर से दूसरे सफर के लिए,
एक बस से दूसरे बस पर चड़ते देखा।
हाॅफती हुई जिंदगी पसीने से लथपथ,
माथे पर थकावट की शिकन,
और आँखों में उम्मीदों का टोकरा लिए थी,
किसी का भरोसा तो,
किसी के प्यार के लिए भाग रही थी जिंदगी,
थकी हुई थी पर,
परिस्थितियों से हारी नहीं थी जिंदगी।
सूजी आँखों को देख कर,
हर कोई बता देता,
की कल रात बहुत रोयी थी जिंदगी,
मुस्कुराहट चेहरे पर लगा कर,
हाथों में जिम्मेदारियों का बस्ता लिए,
फिर भाग रही थी जिंदगी।
कहना बहुत कुछ था जिंदगी को,
पर बातें कहें कोनसी ये पता न था जिंदगी को,
सफर छोटा था जिंदगी का,
एक बस से दूसरे बस का,
आँखों को बंद कर गहरी सास ली और,
फिर मुस्कराई जिंदगी।
© shivika chaudhary