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उठते हैं सवाल आख़िर क्यूं...✍️✍️

© Shivani Srivastava
लोग पूछते हैं.. चिंतित हो जिसके लिए, वो तुम्हारा क्या लगता है..
वो तुम्हारा कोई 'अपना' भी तो नहीं है,दूर दूर तक पराया लगता है..

वो तो तुम्हें नहीं याद करता कभी, फिर भी तुम उसे ही याद किए जा रही हो..
ज़रूरत से ज्यादा फ़िक्र हो रही उसकी,कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ छिपा रही हो..

कैसे समझाऊं कि भावमात्र ही आधार है,भला इस रिश्ते को क्या नाम दूं मैं..
कोई वजह थोड़ी थी जुड़ने की, जिसे एक निश्चित समय बीतने पर अंजाम दूं मैं..
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