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लालसा_की_प्रतिध्वनि
#लालसा_की_प्रतिध्वनि

**लालसा की प्रतिध्वनि**

इक अधूरी तमन्ना की, सदा बनकर आई है,
लालसा की प्रतिध्वनि, दिल में सजी है, समाई है।

नैनों में बसी तसवीर, ख्वाबों में भी आती है,
कभी हकीकत तो कभी, मृगतृष्णा बन जाती है।

वक्त की बेरुखी ने, दूरीयाँ बढ़ा दी हैं,
पर इस दिल ने तेरी, चाहत न कम कर पाई है।

शब्दों में ढली नज़्में, हर रोज़ सुनाती हैं,
तुझसे मिलने की चाहत, दिल में जगाती हैं।

जीवन की हर राह में, तेरा ही ख्याल आता है,
लालसा की प्रतिध्वनि, हर पल मेरे साथ है।
© ऋत्विजा