मदहोश हो गए हम
ना जाने क्या छुपा था उन निगाहों में
आईना देख हो गया टूटकर चकनाचूर
फ़िर भी राज़-ए-दिल ना जान सका वो
उन खूबसूरत निगाहों को देखता रहा बदस्तूर
कभी शर्म से झुकी वो हसीन आँखें
अपलक निहारती थीं आईना
आज जाने...
आईना देख हो गया टूटकर चकनाचूर
फ़िर भी राज़-ए-दिल ना जान सका वो
उन खूबसूरत निगाहों को देखता रहा बदस्तूर
कभी शर्म से झुकी वो हसीन आँखें
अपलक निहारती थीं आईना
आज जाने...