...

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testimonial to pallavi ....सज़ा दो अपने .
सज़ा दो अपने कर्मो से
धरा अम्बर की रौनक को
जिधर देखे उधर ही उजाला
फैला दो रोशनी मेहनत की
तू उगते हुए आफ़ताब लगते हो
डूबती शाम की चाँदनी माहताब हो
निशा की तिमिर भी लजाती है ...