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testimonial to pallavi ....सज़ा दो अपने .
सज़ा दो अपने कर्मो से
धरा अम्बर की रौनक को
जिधर देखे उधर ही उजाला
फैला दो रोशनी मेहनत की
तू उगते हुए आफ़ताब लगते हो
डूबती शाम की चाँदनी माहताब हो
निशा की तिमिर भी लजाती है
तेरे चमकते ललाट के दीदार से
करू तारीफ क्या तुम्हारी
कोई उपमा तुम से नही भारी
कनक से भी तेज तेरा तेज़ है
चमक तेरे रुतबे की फिर भी तेज़ है
उठो अब भेद डालो लक्ष्य को अपने
उठा कर सिर जिये तेरे अपने
तुझे छू न पाए कोई बाधायें
पूरी हो तेरी सब आशाये।
god bless pallavi👍👍👍👌👌💐
© निःशब्द
धरा अम्बर की रौनक को
जिधर देखे उधर ही उजाला
फैला दो रोशनी मेहनत की
तू उगते हुए आफ़ताब लगते हो
डूबती शाम की चाँदनी माहताब हो
निशा की तिमिर भी लजाती है
तेरे चमकते ललाट के दीदार से
करू तारीफ क्या तुम्हारी
कोई उपमा तुम से नही भारी
कनक से भी तेज तेरा तेज़ है
चमक तेरे रुतबे की फिर भी तेज़ है
उठो अब भेद डालो लक्ष्य को अपने
उठा कर सिर जिये तेरे अपने
तुझे छू न पाए कोई बाधायें
पूरी हो तेरी सब आशाये।
god bless pallavi👍👍👍👌👌💐
© निःशब्द
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