...

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शफ़ीक़
अपना घर छोड़ रहा है कोई
इस तरह बिखर रहा है कोई

सर्दी अब रूह को कपाने लगी
फिर से सिहर रहा है कोई

रिश्तों को इस कदर समेटा की
अब बिखर रहा है कोई

इधर आग लगी है दिल में
उधर संवर रहा है कोई

मैं तो बिखरा था
बिखरी बाते किया

उधर मेरे ही नदी से
घड़ा भर रहा है कोई

✍️रणविजय "मंटू"
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