...

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कैसे जिया जाये।
जब हमको उन्होने भूला ही दिया ,
तो अब क्या ही गिला किया जाये ।

जीना भी तो जरूरी हैं जिंदगी में,
पर अब किसके लिए जिया जाये।

जो लम्हा लिखा था नाम उनके,
अब उसे कहां दफ़न किया जाये।

जितना भी चाहे भुलाना उनको,
बेईमान दिल ओर याद किये जाये।

ये तो ज़ख्म हैं इश्क-ए-मोहब्बत का ,
भला ये धागे से कहां सिला जाये ।

लिख दिये दर्द अपनी "अभिलाषा" से,
अब ये अश्क हमसे ओर न पिया जाये।