...

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तेरी आशिक़ी
आशियां तेरे बिना कैसे बना पाऊंगी मैं,
तू मेरा था ये बात कैसे भूला पाऊंगी मैं।
माना गलती मेरी थी तुझे समझ नहीं पाई,
पर तेरी आशिक़ी को कैसे झुठला
पाऊंगी मैं।
ज़रूरत है आज तेरी मुझे,
तो तुझे ख़्वाबों में कैसे ढूंढ़ पाऊंगी मैं।
सपने तेरे मेरी आंखों में कब से,
दफ़न राज़ बनकर बंद पड़ी है,
बिना तेरे इजाज़त के इन्हें कैसे
खोल पाऊंगी मैं।
अब बता मुझे तेरी आशिक़ी को
कैसे झुठला पाऊंगी मैं।

:- M.K