...

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आहिस्ता आहिस्ता कारवाँ गुजर रहा है..
आहिस्ता आहिस्ता जिंदगी का कारवाँ गुजर रहा है..
मेरा आशियाना बिखर रहा है..
दस्तूर बदल रहा है..
तर्तीब तहजीब दहलीज सब बदल रहा है..
आहिस्ता आहिस्ता जिंदगियाँ गुजर रही हैं..
वजूद दांव लगा बैठा है..
दुनिया नजर उठा रही है..
और मेरा खुदा सारे भरम मिटा रहा है..
मेरी तासीर एक नये मोड़ पर आकर रुक सत कर रही है..
आहिस्ता आहिस्ता सब चल रहा है..
ठहरा हुआ...