...

20 views

कुछ अधूरी ख्वाहिशें...।
*कुछ अधूरी ख्वाहिशें... ।*


ना जाने कितने ही जतन किए थे मैंने
पर सपनों की डोरी कहीं छूट सी गई
जिनसे रूबरू होने की होड़ में सो जाते थे जल्दी
अब मेरी वो नींद भी कहीं उड़ गई
संभाले रखी हैं जो दिल के कोने में कहीं
वो सारी मेरी ख्वाहिशें अधूरी सी रह गई...

बचपन की यादें भी कितनी सुहानी थी
हर शाम दोस्तों की नई कहानी थी
कब होंगे हम बड़े, कब हमारी मुंचे होंगी
एक बड़ा सा घर और धेर सारी कारें होंगी
दिन चढ़ा है और रात सो गई
पलक झपकते ही हर बात खो गई
फिर भी
संभाले रखी है जो दिल के कोने में कहीं
वो सारी मेरी ख्वाहिशें अधूरी सी रह गई...

एक उम्र का नाम जवानी है
होती उसमें कई कहानी है
यारी और...