...

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तेरी यादें
( तेरी यादें )
मेरी आखों से आंसू और कलम की नोक से स्याही टपकती है,
तेरी तस्वीर को देखकर जब मेरी पलकें झपकती हैं,,
तेरी यादें बहुत कातिलाना सी है कमबख़्त,
हर बार मेरी जान लेने को लपकती है,,
झुमके भूलूं ,कंगना भूलूं ,भला मैं क्या-क्या भूलूं ,
मेरे कानों में तो तेरी पाजेब आज तक खनकती है,,
कोशिश तो रहती है कि कहीं अचानक से दिख जाओ तुम,
इसीलिए तेरे शहर की भीड़ में मेरी नजरें भटकती हैं,,