...

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उठ जाता हूँ सूरज से पहले
उठ जाता हूँ सूरज से पहले,
घर चाँद मुझे पहुँचाता है..

ज़िम्मेदारियों में उलझ गयी ज़िन्दगी सारी,
कुछ मुक़द्दर भी उलझाता है..

महफ़िल में रौनक कभी ले आता था जो,
वो चेहरा अब कहाँ मुस्कुराता है..

हर सुबह दीखाती है इक हसीं सपना,
हर रात वो ख्वाब फिर टूट जाता है..

© IndoreKeGopal