Aaj phir ye tiranga lehraya hai
दूर सरहदो में गोलियाँ झेलके भी
कभी ना जिसने अपना सिर झुकाया है;
एक सलाम उस शहीद जवान को भी
जिसने इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है।
बाढ़ और सूखे से परेशान होकर भी
अपने खेत में जिसने हल चलाया है;
एक सलाम उस मेहनती किसान को भी
जिसने इस देश का अनाज उगाया है।
दो सौ साल की गुलामी के दाग को
जिन लोगो ने अपने खून पसीने से मिटाया है;
एक सलाम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी
जिन्होंने इस देश को आज़ाद कराया है।
पूरव हो, पश्चिम हो, उत्तर हो या दक्षिण
हर जगह देशभक्ति का रंग गहराया है;
एक सलाम उन मस्त मौला हवाओं को भी
जिनके सहारे आज फिर ये तिरंगा लहराया है।
© Sanad Jhariya
कभी ना जिसने अपना सिर झुकाया है;
एक सलाम उस शहीद जवान को भी
जिसने इस मिट्टी का कर्ज़ चुकाया है।
बाढ़ और सूखे से परेशान होकर भी
अपने खेत में जिसने हल चलाया है;
एक सलाम उस मेहनती किसान को भी
जिसने इस देश का अनाज उगाया है।
दो सौ साल की गुलामी के दाग को
जिन लोगो ने अपने खून पसीने से मिटाया है;
एक सलाम उन स्वतंत्रता सेनानियों को भी
जिन्होंने इस देश को आज़ाद कराया है।
पूरव हो, पश्चिम हो, उत्तर हो या दक्षिण
हर जगह देशभक्ति का रंग गहराया है;
एक सलाम उन मस्त मौला हवाओं को भी
जिनके सहारे आज फिर ये तिरंगा लहराया है।
© Sanad Jhariya