...

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ढलती हुई ज़िंदगी
ढलती हुई ज़िंदगी और पिघलती हुई बर्फ़
अपने ही ठिकाने से बेज़ार हो जाती है..

उम्र के इस अनचाहे पडा़व पर आकर,
फ़िर एक बार बचपन की तलबग़ार हो जाती है..

जिस आशियाने को अपनों के...