कल ही की बात है😓
बातें कुछ यूं थी कहीं उसने
के ना जाने क्या शोर था उनकी निगाहों में
सांसें चली पर निगाह नीचे झुकाए हुए थी
कुछ यूं वो अपने जज्बातों को बयां किए जा रही थी
लगा ना था कि वो कुछ यूं मुझसे बिछड़ जाएगी
मेरा साथ कुछ यूं ही वो छोड़ जाएगी
मै था रोया हुआ देख उसकी उन नज़रों को
जिसमे कभी साथ निभाने की आस थी झलकी
वो चाहते ना थे यूं छोड़ जाना तन्हा मुझे
पर हादसा ही उन्हें मजबूर कर बैठा कुछ इस क़दर
मै था खड़ा देखता उसकी उन सांसों की आखिरी डोर
वो भी थे मजबूर कुछ यूं चले जा रहे थे बेवजह
वो राहें थी कठिन पर आस अब भी थी लगी...
के ना जाने क्या शोर था उनकी निगाहों में
सांसें चली पर निगाह नीचे झुकाए हुए थी
कुछ यूं वो अपने जज्बातों को बयां किए जा रही थी
लगा ना था कि वो कुछ यूं मुझसे बिछड़ जाएगी
मेरा साथ कुछ यूं ही वो छोड़ जाएगी
मै था रोया हुआ देख उसकी उन नज़रों को
जिसमे कभी साथ निभाने की आस थी झलकी
वो चाहते ना थे यूं छोड़ जाना तन्हा मुझे
पर हादसा ही उन्हें मजबूर कर बैठा कुछ इस क़दर
मै था खड़ा देखता उसकी उन सांसों की आखिरी डोर
वो भी थे मजबूर कुछ यूं चले जा रहे थे बेवजह
वो राहें थी कठिन पर आस अब भी थी लगी...