...

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तुम्हारा आना
जीवन में आना तो पूरी तैयारी के साथ।
तैयारी हो पूरी अगर धनुष को तोड़ने की,
उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने की राम के जैसी।
तैयारी हो पूरी यदि अर्जुन की तरह मछली की आंख भेदने की।
सामर्थ्य हो यदि द्वारकाधीश जैसी किसी के भेजे पत्र पुकार को पढ़ते ही चल देने की।
आना तो फिर तुम इसे आना ।
वरना...... कभी मत आना।।

समीक्षा द्विवेदी

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