...

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अब साँझ पहर...
कम है मौसम की तपिश, घाम उतर आई है
मेरे आँगन में वही शाम उतर आई है..

फ़िर से गेंदा लगा है खिलने ये पीला - पीला
आज़ चंपा भी अरसे बाद मुस्कराई है..

खुशबु फ़ैली है यूँ पारिजात की...