10 views
भाव
भक्ति भाव से सजी हूँ मैं
मेरे साहिब की अनूठी कृति हूँ मैं
पंच तत्व लगे मुझमें ,छठा आत्मा है
भावनाओं की बहती सुन्दर धारा हूँ मैं
जाना जब मुर्शद की कृपा से असीम रब को
अपने विशाल रूप से तबसे जुड़ी हूँ मैं
माया क्या है ,मायापति क्या है ,ज्ञान हुआ
तभी माया का हर असर ,बेअसर हुआ
देख लुभावनी माया को समझ रही हूँ मैं
अब दिल नहीं लगता इस माया में
जबसे मायापति ह्रदय में बसा है
देख माया के हर रंग को हँस रही हूँ मैं
तेरे चरण कँवल साहिब 'अनिता 'कभी ना छोड़े
यही झोली पसारे मांग रही हूँ मैं
मेरे साहिब की अनूठी कृति हूँ मैं
पंच तत्व लगे मुझमें ,छठा आत्मा है
भावनाओं की बहती सुन्दर धारा हूँ मैं
जाना जब मुर्शद की कृपा से असीम रब को
अपने विशाल रूप से तबसे जुड़ी हूँ मैं
माया क्या है ,मायापति क्या है ,ज्ञान हुआ
तभी माया का हर असर ,बेअसर हुआ
देख लुभावनी माया को समझ रही हूँ मैं
अब दिल नहीं लगता इस माया में
जबसे मायापति ह्रदय में बसा है
देख माया के हर रंग को हँस रही हूँ मैं
तेरे चरण कँवल साहिब 'अनिता 'कभी ना छोड़े
यही झोली पसारे मांग रही हूँ मैं
Related Stories
20 Likes
8
Comments
20 Likes
8
Comments