...

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क्या ये तुम हो ??
अपनी खुशियों को जो यूँ ठुकराये घूमते हो
हमे भी तो बताओ क्या बोझ लिए रहते हो ।।
पत्थर तक रिस जाते है पानी के बहाव में
तुम तो फिर भी इंसान हो इस बदनाम बाजार में ।।
रिसे पत्थर की कीमत बढ़ती है उस घाव से
अनमोल तो तुम थे, निखर गए और उस लगाव से ।।
अब क्यों अँधेरे में गुमनाम खुद को खो रहे हो
उजाला है सामने अब तो अपनी आँखें खोल लो ।।
दस्तूर है कुछ घाव लगते और खुद भरते हैं
बच्चे भी तो गिरने के बाद चलना सीखते हैं ।।
हाँ थोड़ा वक़्त तो लगता है खुद को सँभालने में
पर कोशिश ही न करो दम भी तो नही इस बात में।।
तुम्हारी पहचान ही तुम्हारी मुस्कान से होती थी
हर हालात में हसीं तुम्हारे चेहरे से चिपकी रहती थी।।
यूँ जो अपनी पहचान गुमाये चुपचाप बैठे हो
दिल हल्का तो करो शायद मिल जाए जो खोये हो ।।
आईने से पूछो ज़रा सवाल क्या ये तुम हो जो तुम थे
क्या आज से पहले कभी खुद से यूँ गुमसुम थे ।।
ज़रा इस बाजार से निकल कर देखो इस जहाँ को
दो प्रमाण इस दुनिया को गुमनामी में नही तुम यहाँ हो ।।
खुद पे विश्वास तो करो जैसे पहले किया करते थे
फिर सारे होंगे पास कुछ नए चेहरे जैसे हुआ करते थे ।।
© Aadi...