...

8 views

शायद
समझ न सकोगी .
शायद........

मेरे मन की बातो को ..

नयनो की बरसातों को ..

भीगे तकिये की रातो को ..

उन अधूरी मुलाकातो को..

भूली बिसरी यादों को..

मन के उन अहसासो को ...

जीवन के अधूरे ख्बाबो को ...

सुख चुके गुलावो को ....

मन में अब कुछ शेष नहीं
जीवन में कुछ भी विशेष नहीं !
© रविन्द्र "समय"