!! वो पल फिर से आए !!
तेरी साँसों की सरगोशियों से
होती थी सुबह मेरी
काश वो पल फिर से आये
धूमिल धूमिल सी दोपहर
तेरे स्पर्श से हो जाती रोशन...
होती थी सुबह मेरी
काश वो पल फिर से आये
धूमिल धूमिल सी दोपहर
तेरे स्पर्श से हो जाती रोशन...