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मौसम तो खुशनुमा है...
मौसम तो खुशनुमा सा है,
फिर क्यूं ये बेकरारी है ।
हम तो आ चुके कब से,
फिर किसकी इंतजारी है।
ले चल जहां भी साथ अपने,
हम तो तेरी ही सवारी हैं।
अंधेरा क्या है चिरागों से पूछ,
जिसके साय में रात गुजारी है।
आवाज़ उठाने से क्या फ़ायदा,
जब सरकार ही तुम्हारी है।
लौटा दे कोई बचपन दोबारा,
हर लम्हा बहुत यादगारी है।
फिर क्यूं ये बेकरारी है ।
हम तो आ चुके कब से,
फिर किसकी इंतजारी है।
ले चल जहां भी साथ अपने,
हम तो तेरी ही सवारी हैं।
अंधेरा क्या है चिरागों से पूछ,
जिसके साय में रात गुजारी है।
आवाज़ उठाने से क्या फ़ायदा,
जब सरकार ही तुम्हारी है।
लौटा दे कोई बचपन दोबारा,
हर लम्हा बहुत यादगारी है।
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