काल्पनिक पात्र
रात दिन जिसे चाहा है!
आज उसका पैगाम आया है!!
पूछा है खत मे कैसा हूँ मै!
ख्याल ए यार को मेरा ख्याल कैसे आया है!!
सोचा था बात ना करूँगा उससे कभी!
पैगाम देखते ही मैंने उत्तर भिजवाया है!!
पूछा उससे मैंने जो हो अकेले या हो गए दो!
बेदर्दी ने मिला नहीं कोई ये जवाब भिजवाया है!!
उम्मीद लगाने से डर रहा हूँ मैं!
तन्हाई को खुद से दूर कर रहा हूँ...
आज उसका पैगाम आया है!!
पूछा है खत मे कैसा हूँ मै!
ख्याल ए यार को मेरा ख्याल कैसे आया है!!
सोचा था बात ना करूँगा उससे कभी!
पैगाम देखते ही मैंने उत्तर भिजवाया है!!
पूछा उससे मैंने जो हो अकेले या हो गए दो!
बेदर्दी ने मिला नहीं कोई ये जवाब भिजवाया है!!
उम्मीद लगाने से डर रहा हूँ मैं!
तन्हाई को खुद से दूर कर रहा हूँ...