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समर्पण चाहिए..!!
अच्छा सुनो! ये जो तुम्हारे चोंचले है,
पसंद है, कभी नही..
अभी सही, फिर वही..
क्या चाहते हो?
कोई अपराध है, कुछ बाध्य है?
या प्रारब्ध है? क्या उपलब्ध है?
देखो, तुम्हे आवश्यकता नही है।
पर, तुम्हारे आचरणमें,
प्रेमकी परिभाषा कुछ भिन्न है।
यदि में कहुँ ऐसे, तुम्हे नही मानना,
यदि में कहुँ वैसे, तुम्हे नही जानना,
फिर तुम्हे तुम्हारी पसंदको,
मेरी समझ से समझना होगा।
तुम्हे आशा है यदि अनंत प्रेमकी,
तो मुझेभी तो तुम्हारा समर्पण चाहिए..!!
© Akhand Moj
पसंद है, कभी नही..
अभी सही, फिर वही..
क्या चाहते हो?
कोई अपराध है, कुछ बाध्य है?
या प्रारब्ध है? क्या उपलब्ध है?
देखो, तुम्हे आवश्यकता नही है।
पर, तुम्हारे आचरणमें,
प्रेमकी परिभाषा कुछ भिन्न है।
यदि में कहुँ ऐसे, तुम्हे नही मानना,
यदि में कहुँ वैसे, तुम्हे नही जानना,
फिर तुम्हे तुम्हारी पसंदको,
मेरी समझ से समझना होगा।
तुम्हे आशा है यदि अनंत प्रेमकी,
तो मुझेभी तो तुम्हारा समर्पण चाहिए..!!
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