...

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तनहाई
कैसे कहूं,क्या कहूं,की अब
कोई बात समझ नहीं आता,

तन्हा मेरी सफ़र हैं, अश्कों
का अब सहारा,कुछ दूर चले

मुसाफिर फिर कर गए किनारा,
हो सके तो छोड़ देना दिल्लगी,

मुझे तो इल्म हैं...