...

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इक ऐसी प्रियतम हमारी हो !!
पत्थर बीच फूलों की क्यारी हो
जो प्रेम प्रसंग से भी प्यारी हो
इक स्वप्न बुने प्रतीक्षा मे है
इक ऐसी प्रियतम हमारी हो !!

चन्द्र जिसका रूप सजाये
वाणी उसकी बुलबुल सी गाए
पंखुड़ियों ने मुस्कान सवारी हो
इक ऐसी प्रियतम हमारी हो !!

केशू में जिसके मेघा मंडराये
मदहोश जो आंखों से कर जाए
लता से कोमल वो नारी हो
इक ऐसी प्रियतम हमारी हो !!

© shiveshpatel