बिता कल
उन गलियों से शुरू,
जो बचपन हुआ...
बस अक्स का वो,
घर बन गया...
अतीत आखों को,
नज़र आ रहा...
छुटा...
जो बचपन हुआ...
बस अक्स का वो,
घर बन गया...
अतीत आखों को,
नज़र आ रहा...
छुटा...