...

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वो पहली मुलाक़ात


पहली मुलाक़ात थी बहोत ख़ास।
जब उन्होंने पकड़ा था हमारा हाँथ।
वो खाई थीं हमनें प्यार की कसमें जब वो लगें थे अपने।
एक वक़्त था जब हमारा मिलना हर वक़्त था।
वक़्त ने बदली है करवट ऐसी
आख़री मुलाक़ात है आज उनसें कुछ ऐसी,
वो जो लगते थे अपने आज लग रहे है पराये।
छोड़ा है जो हाँथ पकड़ा था कभी बिच राह।
तोड़ी है सारी कसमें जो खाई थी बार बार।
अब हम चल पड़े है उस सफ़र पर ना है जिसका
कोई हमसफ़र।