...

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बदनाम चांद


जाहिल जमाने को रोज देखने आ जाते हो?


जाहिल जमाने को, रोज देखने आ जाते हो।
या बहाना बना तुम, सबको यूं ही बहकाते हो।
सच कहना, तुमने भी, मेरे महबूब सी हसीं नहीं देखी।
जो हर रोज, दीदार करने आ जाते हो।।

क्या कहूं तुमको?
जाहिल तो तुम भी कम नहीं।
यूं किसी कि मोहब्बत को नासाज करने आ जाते हो।


ये दाग, निशानियां सी लगती है।

ये दाग, निशानियां सी लगती है,
सच कह दो, हमारी मोहब्बत देख के जल जाते हो।


तुम बेशक नूर - ए - जहां हो...