...

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बाज़ार-ए-हुस्न...
तवाइफ़ का दीदार, बाज़ार-ए-हुस्न के दरबार में।
एक जुलूस उभरता है रोज, इस कतार में।

आते हैं बेबस होकर अक्सर वो यहां,
फरेब, धोखा, बेवफा दिखता है जिसे प्यार में।

चूमते ही लबों को मदहोश हो जाते है वो,
होश खो जाता है उतरते...