पत्थर के आंसू
ऐ स्त्री...
तुम समेट लेना उस पिघलते पत्थर को
ये विरला ही देखने को मिलता है, कि
कोई पुरुष टूट कर रो दे,
तुम समेट लेना उन अश्रुओं के मोतियों को
और खुद को भाग्यशाली समझना कि
तुम साखी हो उस टूटे मोतियों की।
पिरो लेना माला...
तुम समेट लेना उस पिघलते पत्थर को
ये विरला ही देखने को मिलता है, कि
कोई पुरुष टूट कर रो दे,
तुम समेट लेना उन अश्रुओं के मोतियों को
और खुद को भाग्यशाली समझना कि
तुम साखी हो उस टूटे मोतियों की।
पिरो लेना माला...