...

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आखरी अलविदा
महफिल सजा आज खुशियों का,
चमकती छम छम रोशनी चारों ओर
लहराता ख्वाबों का पतंग हर ओर,
किलती कमल सा नूर सजा है अंगनामें।।

चंदन की महक से प्रफुल्लित हर कोना,
कण कण में आज पाई है खुशी की पूंजी
ना जाने क्यों फिर बी मन विचलित है ,
कोई खुशी मुझे खुश नहीं कर पाई ।।

हर ओर खुशि मनाई जा रही थी,
पर एक मेरा मन है जो दुखी: है।।
क्यू है नही जानती मैं ,पर फिर बी
मन मचल उठा ,बेचैनी फैली हुई है।।

बस मुझे उस पल का इंतजार रहा
जो एक बार में आए,और हमेशा के
लिए मुझे अपने साथ लेकर जाए
इस एक लम्हे के लिए तरस्ता मन मेरा।।

एक बार केहडू आखरी अलविदा,
केहदू एक बार आखरी अलविदा,।।
© saధना🖌️