...

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स्त्री का प्रेम
कमरबंध की सुनहरी चमक के आगे
गजरे की खुशबू फिकी है
पैजानियां के आकर्षण के आगे
घुंघरू की मीठी छन छन रूखी है
कुंदन के कंगन ही भाए
कांच की चूड़ियां
अब किसे रास आए
कानो मे कुंडल की पसंद पहली
अब बालियो को कोन चुनी अकेली
गले को भी कुन्दन ही भाये
चाहे उसके बिना सुना रह जाए
थोड़ा ज्यादा प्रेम हीरों से है
उसकी चमक के आगे
प्रेम का स्वाद भी नमक सा है
यूं ही नहीं औरत बदनाम हुई
काई बार, अपनो से ज्यादा
गहनो पर मेहरबान हुई
फिर क्यू शिकवा जताती हो?
हार देकर मनाना उसे तुमने ही सिखाया है
यूं ही नहीं तुम बदनाम हुई।
© preet