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कलाकारी दुनिया की
तड़प ते रहे उम्र भर,
ना मिला साथ
अपनों का, ना मिला अपना पन
जताने वालों का।
बस सहमे सहमे चुप चाप
काट लिया एक लंबा वक्त
जिंदगी का।
अब जब वक्त ने लिया करवट,
टूटे तारों को देख कर किए थे जो चाहत,
पूरी होने लगा है, बदल रही है किस्मत,
भीड़ भी बढ़ने लगा है,
कुछ अपनों की,
कुछ अपनापन दिखाने वालों की।
बस एक ही आवाज
निकलता है अंदर से,
वाह री दुनिया,
वाह वाह तेरी दुनियादारी,
रिश्ता निभाना नहीं आता,
पर अजब है यह तेरी कलाकारी।
© Dr. Jyoti Prakash Rath
ना मिला साथ
अपनों का, ना मिला अपना पन
जताने वालों का।
बस सहमे सहमे चुप चाप
काट लिया एक लंबा वक्त
जिंदगी का।
अब जब वक्त ने लिया करवट,
टूटे तारों को देख कर किए थे जो चाहत,
पूरी होने लगा है, बदल रही है किस्मत,
भीड़ भी बढ़ने लगा है,
कुछ अपनों की,
कुछ अपनापन दिखाने वालों की।
बस एक ही आवाज
निकलता है अंदर से,
वाह री दुनिया,
वाह वाह तेरी दुनियादारी,
रिश्ता निभाना नहीं आता,
पर अजब है यह तेरी कलाकारी।
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