jai Shree Madhav
@mywriting
तुझे देव कहूँ, सखा या फिर कान्हा सबका
कोई रूप हो तेरा, अक्स मेरा रम सा गया।।
कहाँ खोजू, कहाँ ढूँढू, तू सूक्ष्म, मैं अज्ञानी
तेरे दरस बिन, ये जीवन फिर से व्यर्थ यो हो गया।।
मैं पूजू तुझे, मानू भी, पर प्रेम तो तेरा बट गया
सूरत...
तुझे देव कहूँ, सखा या फिर कान्हा सबका
कोई रूप हो तेरा, अक्स मेरा रम सा गया।।
कहाँ खोजू, कहाँ ढूँढू, तू सूक्ष्म, मैं अज्ञानी
तेरे दरस बिन, ये जीवन फिर से व्यर्थ यो हो गया।।
मैं पूजू तुझे, मानू भी, पर प्रेम तो तेरा बट गया
सूरत...