...

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"सब्र कर"
मिलता नहीं वो, जो आज मिल गया है
एक सब्र ही तो है, जो हमने किया है।

माना हौसले बुलंद है तुम्हारे ए दोस्त लेकिन,
एक ही दिन में कामयाब हो तो नहीं जाओगे।
हाँ मगर सब्र रखो एक दिन जरूर हो जाओगे।

अगर आता नहीं सब्र करना, तो सिखों अपने
माँ-बाप से बरसों बिताए हैं सब्र के पहलुये
और तरसे हैं, तुम्हारी कामयाबी देखने को।

सबका आया है, तेरा भी व्यक्त आएगा
तू बस सब्र रख, दोस्त हो या हो दुश्मन
हर कोई तेरी कामयाबी पे मुस्करायेगा।

© by :- kk writer