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राणा का शौर्य

अकबर हुआ दुलारों में ।
हैं राणा खड़े क़तारों में ।
हम पढ़ते हैं बाज़ारों में ।
कुछ बिके हुए अख़बारों में ।

ये जाहिल हमें सिखाते हैं ।
शक्ति का भान कराते हैं ।
अकबर महान बताते हैं ।
राणा का शौर्य छिपाते हैं ।

कुछ मातृभूमि कोहिनूर हुए ।
जो मेवाड़ी शमशिर हुए ।
वो रण में जब गम्भीर हुए ।
तब धरा तुष्ट बलबीर हुए ।

अरियों की सेना काँप गई ।
जब राणा शक्ति भाँप गई ।
भाले की ताक़त नाप गई ।
अरि गर्दन भी तब हाँफ गई ।

कुछ दो धारी तलवारों में ।
था चेतक उन हथियारों में ।
वो जलता था प्रतिकारों में ।
उन मेवाड़ी अधिकारों में ।

हाथ जोड़ यमदुत खड़ा था ।
दृश्य देख अभिभूत पड़ा था ।
मेवाड़ी बन ढाल लड़ा था ।
चेतक बनकर काल खड़ा था ।

राजपूताना शमशिरों का ,
जब पूरा प्रतिकार हुआ ।
तब तब भारत की डेहरी पर ,
भगवा का अधिकार हुआ ।

✍🏻 धीरेन्द्र पांचाल