...

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क्या करुं
यहां जो भी मिला दुश्मन मेरी जां का मिला
करुं तो क्या करुं मुझे ए दिल ये तो बता
दुश्मन नहीं यहां दोस्त दगा करते हैं
मरहम दे के सीने में जख्म करते हैं
करुं तो क्या करुं
जिनकी रुखसार की सुरखी के लिए
कर ली मैंने अपनी रातें परिशां
वही अब मुझे इल्ज़ाम दिया करते हैं
करूं तो क्या करुं
वो जो रस्ते में किनारे से निकल जाते हैं
वही मेरे दिल की धड़कन में रहा करते हैं
करुं तो क्या करुं मुझे ए दिल ये तो बता
यहां जो भी मिला दुश्मन मेरी जां का मिला